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गुजरात या मुंबई के किसी लोकप्रिय गुजराती रेस्तरां में जाएं तो आप गुजराती थाली में व्यंजनों की संख्या देखकर भौंचक्के रह जाएंगे। खाने की पारंपरिक थाली में कढ़ी, उंद्रया, ढोकला, श्रीखंड, सेवगांठी, अमरस, दूधपाक, रोटियां, भाजियां व चटनियां आदि कई तरह के व्यंजन मिलेंगे। खमण ढोकला और श्रीखंड तो अब देश के कोने-कोने में मिलने लगे हैं।
सादा व जैन खाना
गुजरात में होटलों व रेस्तराओं में दो तरह के खाने मिलेंगे। एक सादा खाना और दूसरा जैन खाना। जैन खाने का सीधा मतलब है कि उसमें प्याज और लहसुन बिलकुल नहीं होगा। उंद्रयो या उंद्रयू गुजराती खाने की जान है। इसे पकाने का खास तरीका है। भुने मीठे आलू, फलियां और अन्य एक-दो प्रकार की सब्जियों को मिट्टी की हांडी में डालकर उलटा जमीन में लगा दिया जाता है और फिर उसके ऊपर आग जला दी जाती है। इस तरह पकने के बाद उसमें छाछ, मिर्च, नमक व चटनी मिलाई जाती है। फिर गर्मागर्म परोसा जाता है। दही व फ्राइड तरकारियों से तैयार गुजराती कढ़ी भी खास होती है।
नाश्ते में गुजरात का जवाब नहीं
गुजराती सब्जियों और भाजी, दाल में तो मीठे का अंश होता ही है और कई तरह के विशेष पारंपरिक मिष्ठान गुजराती खाने का खास हिस्सा हैं। दूधपाक, सूतर फेनी व श्रीखंड जैसी चीजें दूध, दही और मेवे से तैयार की जाती हैं। यह तो हुई एक लंच और डिनर की बात। नाश्ते के मामले में भी गुजरात का जवाब नहीं। सुबह सवेरे दूध, चाय के साथ फाफड़ा और जलेबी के नाश्ते का जवाब नहीं। इसके अलावा गुजरात में नाश्ते या दिन में किसी वक्त स्वाद लेने के लिए आपको कदम-कदम पर नमकीन या फरसाण की दुकानों मिल जाएंगी। इनमें कई तरह के करारे चटपटे नमकीन चिवड़े और कई प्रकार की मीठी नमकीन चीजें मिलेंगी। इसके अलावा नमकीन सेब और टमाटर को मिलाकर बनाई गई भाजी के साथ गरमा-गरम परांठों का सेवन गुजराती भोजन की खास अदाएं हैं
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